मेरी माटी एक क्रांति, आपने बिल्कुल सही सुना, एक क्रांति. क्या क्रांति किसी देश में, किसी जगह में तभी हो सकती है जब वहां पर हजारों या लाखों लोग इकट्ठा हो और किसी चीज की डिमांड कर रहे हो ? या कोई चेंज लाने की डिमांड कर रहे हो ? क्या क्रांति हम उसे नहीं कहेंगे उसे जब एक व्यक्ति या एक संगठन जिसमें चुनिंदा कुछ व्यक्ति ही हो, जो एक बहुत बड़ा चेंज लाने की कोशिश में जुटे हो. सबसे बड़ा चेंज आज के समय में और आज की जो नेसेसिटी है वह है ‘क्लाइमेट चेंज’. हर जगह पेड़ काटे जा रहे हैं, हर जगह जमीन पुरी की पूरी ऐसी खोदी जा रही है कि कई कई मीटर गहरी खुदाई चल रही है, तो क्या यह सब सही है ?
एक नॉर्मल व्यक्ति एक गवर्नमेंट को रोक नहीं सकता, बहुत कम चांस है क्योंकि बहुत सारा पॉलिटिक्स उसमें चलता है पर अगर हम अपने लेवल मे करे तो बहुत कुछ किया जा सकता है, जैसा हम मेरी माटी मे कर रहे है, बहुत जगह जा जाकर पेड़ पौधे लगाए, लोगों को बोला की पेड़ ना काटे, पर बोलने पर सब ‘हां, हो’ बोल देते हैं पर कोई करने नहीं आता तो हमने शुरू किया ‘मेरी माटी’ जिसमें हमने खुद एक ऐसी जमीन लिया जहां पर लोग उस जमीन अनफर्टाइल कहते थे या उस जमीन को जितना ज्यादा निचोड़ सकते थे वह पूरे करने की कोशिश करते थे अगर कहा जाए तो लोगों के नजरों में वह जमीन फालतू की जमीन है और हमने वह जमीन लिया करीब 20 एकड़ और वहां हमने पूरा योगदान देने की कोशिश की.
यहां पर हम अपना पर्यावरण बचाने के लिए जितना कर सकता है वह करेंगे और अगर 1% लोग भी पूरे वर्ल्ड में अगर यह सोच लें और अगर यह करने की कोशिश करें तो वह अपने लेवल में ‘क्लाइमेट चेंज’ के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं. उसके लिए उनको कहीं गवर्नमेंट के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. हम बार-बार बोलते हैं पर लोग अलग अलग बहाने बोल देते है – हम क्या करें हम तो गरीब हैं, हम क्या करें हम तो मिडिल क्लास हैं, हम तो नौकरी पर जाएंगे दो वक्त की रोटी के लिए पैसा कमाएंगे अपना परिवार चलाएंगे, पर वह यह नहीं समझते की अपने परिवार को बचाने के लिए ही अपने आने वाले पीडिया को बचाने के लिए ही यह प्रयास बहुत जरूरी है जो हम मेरी माटी मे करने की कोशिश कर रहे है.
तो मेरी माटी के बारे में हम विस्तार से बताएंगे अपने इस वेबसाइट में और हमारे पास जो भी इमेज है या वीडियो है वह भी आपके साथ साझा करेंगे. यह बात अलग है कि सामने अगर आप देखेंगे या सामने आप हमारे साथ जुड़कर जो कार्य करेंगे वह अलग नजरिया रहेगा. आंखों देखा हाल को आप पूरा ऐसे शब्दों में या फोटो इमेज में बयान नहीं कर सकते. 100% तो आप बता नहीं सकते पर हम प्रयास करेंगे कि हम मेरी माटी की कहानी आपको बताएं, आपके साथ शेयर करें और कुछ लोग भी इससे अगर प्रभावित होते हैं तो वह मेरी माटी के लिए सक्सेस होगा और ‘क्लाइमेट चेंज’ को कुछ हद तक कम करने के लिए सहयोग भी देगा, तो आइये शुरू करते हैं मेरी माटी की रियल कहानी.
हमने मध्य प्रदेश में जबलपुर शहर में जो जिला है उसमें कुण्डम एक जगह है वहां हमने 20 एकड़ जमीन ख़रीदा है और वह एक गांव है उस गांव का नाम बड़गाव है और मेरी माटी के ऊपर एक पहाड़ी है और पहाड़ी के नीचे 20 एकड़ जमीन है जहां से बारिश में जो वहां की मिट्टी थी वह बह जाती थी जिसके कारण साइल एरोजन (मिट्टी का कटाव) होता था तो हमने सबसे पहले पानी का बहना रोकने के लिए हमने जगह-जगह तालाब बनाएं, जाया पिट्स (Zia Pits) बनाएं, बड़े-बड़े लंबे-लंबे और ताकि उसमें पानी रुक जाए, सबसे पहले पानी को रोकना इसमें जरूरी था.
उसके बाद सबसे बड़ी चीज जो हमको करनी थी वह थी की कही ‘नेकेड जमीन’ ना हो, जो सूरज की रौशनी में पूरे सॉइल को फर्टाइल नहीं होने देती थी, जो पुरे धूप में डायरेक्ट सनलाइट में आता था उसके लिए हमको ‘कवर क्रॉप’ करने की जरूरत थी तो सबसे बड़ा जो ‘कवर क्रॉप’ अगर आप बोलेंगे तो वह घास है तो हमने पहले तो पूरा फेंसिंग किया, फेंसिंग में भी हमने ‘लिविंग फैंस’ किया है जिसके बारे में हम विस्तार से आने वाले ब्लॉग में बताएंगे.
हमने घास उगाने के लिए पहले फेंसिंग किया ताकि यहां पर कोई कैटल (गाय बकरी) ना घुसे. गाय बकरी को तो छोड़िये यहाँ इंसानो की ज्यादा गलती है क्योंकि इंसानों ने यहां पर जितने भी पेड़ पौधे थे सबको काट काट के छोटा कर रखा था ,अपने लकड़ी जलाने के लिए अपने पर्सनल यूज़ के लिए. तो हमने जितने भी यहां पर ‘नेटिव प्लांट्स’ है उनको हमको साथ लेकर चलना है क्योंकि वही हमको आगे लेकर जाएंगे और ‘नेटिव प्लांट्स’ के ऊपर हम अगला ब्लॉग करेंगे उसके बारे में हम डिटेल में बताएंगे.
तो हमने सबसे पहले घास के ‘सीड्स’ लेने के लिए दूसरे ‘फॉरेस्ट’ में गए, हम जगह-जगह फॉरेस्ट में गए वहां से घास के बीज लेकर आए और नेटिव वृक्ष के भी बीज लेकर आए यह हम सब चीज आपको डिटेल में बताएंगे हम घास के ‘सीड्स’ लेकर आए हमने ‘सीड्स’ डालें और बारिश के समय में वह घास उगने लगे और जो हमने जगह-जगह तालाब और जाया पिट्स (Zia Pits) बनाएं थे उसके कारण पानी को बहने से रोका.
शुरू में थोड़ा सा पानी बाहर बहा क्योंकि मिट्टी का कटाव अभी पूरी तरह से रुका नहीं था. पर बारिश के बाद धीरे-धीरे वहां घास उगने लगे और जब घास उगे तो उसने क्या किया, घास ने पानी को रोकने का काम किया. पानी रुका तो उसके कारण वहां पर नमी बनी, नमी बनी तो वहां पर अपने आप पेड़ पौधे उगने लगे जो हमने बीज डाले थे. पेड़ पौधे उगने लगे, बढ़ने लगे और जो पहले से पेड़ पौधे थे वह भी और बड़े होने लगे.
तो 4 साल की मेहनत के बाद यहां पर आपको जमीन (टॉप साइल) दिखेगी नहीं, आपको पूरे जमीन में घास, पेड़ पौधे दिखेंगे, खाली जमीन दिखेगी ही नहीं. हमने बहुत सारे पेड़ पौधे लगाए नेटिव प्लांट्स लगाए, फूड फॉरेस्ट लगाया जिसके बारे मे हम आने वाले आर्टिकल्स मे बताएंगे
यह हमारा पहला ब्लॉग है और इस ब्लॉग का हमने टाइटल दिया है: ‘मेरी माटी – एक क्रांति’. यह टाइटल इसीलिए दिया है क्योंकि हमने जो किया है वह किसी क्रांति से काम नहीं है और हमको कोई मास-मीडिया भी नहीं चाहिए कि हमको अपने क्रांति के बारे मे बताना है, हम अपनी बात अपनी जुबान से खुद बोलेंगे, हमारे यूट्यूब चैनल भी है आप वहां पर सब्सक्राइब कर सकते हैं और हमारे वेबसाइट में आप डिटेल में पढ़ सकते हैं जो एक्चुअल में हमने किया है. अगला ब्लॉग हम जल्दी लेकर आएंगे.