मेरी माटी का जल संरक्षण: बरसात की हर बूँद का सम्मान

मेरी माटी का जल संरक्षण: बरसात की हर बूँद का सम्मान

🌊 मेरी माटी का जल संरक्षण: बरसात की हर बूँद का सम्मान

जब मेरी माटी की ज़मीन हमने पहली बार देखी, वह पूरी तरह बंजर थी। ना कोई पेड़, ना पौधे, ना ही जीवन की कोई हरियाली। ओवर ग्रेज़िंग (Overgrazing) की वजह से मिट्टी नंगी हो चुकी थी और हर बार की बारिश उपजाऊ ऊपरी मिट्टी को बहा ले जाती थी। मगर हमने तय किया कि हम इस ज़मीन का कायाकल्प करेंगे — और इसकी शुरुआत की जल संरक्षण से।

🏞️ बुर्रा पहाड़ी और मिट्टी का क्षरण

मेरी माटी के ठीक ऊपर स्थित ‘बुर्रा पहाड़ी’ से बारिश का पानी सीधे ज़मीन पर बहता था। इसकी गति इतनी तीव्र होती थी कि उपजाऊ मिट्टी हर बारिश के साथ बह जाती थी। हमें समझ आ गया कि जल को रोकना ही पहला कदम होगा मिट्टी को बचाने का।

🛠️ जल संरक्षण के उपाय: एक संपूर्ण वॉटर वर्क्स सिस्टम

हमने मेरी माटी में एक विस्तृत जल संरक्षण मॉडल तैयार किया:

  • तालाब: कई बड़े-बड़े तालाब खुदवाए ताकि पानी जमा हो सके।

  • स्वेल और कनेक्टेड स्वेल: पहाड़ी से आने वाला पानी पहले स्वेल में रुके, फिर धीरे-धीरे तालाबों तक पहुँचे।

  • ज़िया पिट्स और पूडल: मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए जगह-जगह गड्ढे।

  • मेड़ और डायवर्जन: पानी के प्रवाह की दिशा बदलकर उपयुक्त स्थानों पर उसे रोकना।

🌳 जल संरक्षण का प्रभाव

इन कार्यों के बाद जो नतीजे आए, वे चौंकाने वाले थे:

  • मिट्टी का कटाव रुक गया।

  • बारिश का पानी ज़मीन में रुकने लगा जिससे वाटर टेबल रिचार्ज हुआ।

  • ज़मीन में नमी बढ़ी, और मिट्टी फिर से उपजाऊ होने लगी।

  • पेड़ों की जड़ें ज़मीन के भीतर के पत्थरों को भी तोड़ने लगीं, जिससे मिट्टी की सांस लेने की क्षमता बढ़ी।

Transformation at Meri Mati Farm in 7 months…

💧 तालाब की कहानी: हर साल बढ़ती जलधारण क्षमता

पहले वर्ष बारिश का पानी मुश्किल से 15 दिन टिकता था। दूसरे साल ये बढ़कर एक महीना, फिर ढाई महीने, और अब चौथे साल में हमारी ज़मीन 4 महीने तक पानी को रोक रही है। हमने हाल ही में तालाब को और चौड़ा भी कराया है ताकि आने वाले समय में और ज्यादा पानी रोक सकें।

🌾 ग्रीनरी का कमाल

जहां पहले बंजर ज़मीन थी, अब हरियाली की चादर बिछ चुकी है। तालाबों और स्वेल्स के किनारे लगाए गए पेड़-पौधे अब बड़े हो रहे हैं और पूरी जमीन को ढक रहे हैं। कच्ची सड़क के एक ओर नंगी ज़मीन और दूसरी ओर घास से ढकी मेरी माटी — दोनों को देखकर यकीन करना मुश्किल है कि ये एक ही जगह हैं।

🔗 जल संरक्षण: कायाकल्प का पहला कदम

जल संरक्षण के बाद हमने कवर क्रॉपिंग की ओर रुख किया और ज़मीन पर घास उगाई ताकि मिट्टी का तापमान नियंत्रित रहे और नमी बनी रहे।


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🧱 अगला लेख: लिविंग फेंस की कहानी

जल्द ही हम साझा करेंगे — मेरी माटी की “लिविंग फेंस” की कहानी: यह क्या है, क्यों ज़रूरी है, और कैसे यह पारंपरिक बाड़ से अलग है।


प्रकृति से प्रेम, मिट्टी से रिश्ता — यही है मेरी माटी।

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