इस आर्टिकल में हम आपको जल संरक्षण (water conservation) के बारे में बताएंगे जो हमने मेरी माटी (Meri Mati) में कराया है. जैसे कि हमने अपने पिछले आर्टिकल्स में बताया है कि यह जो मेरी माटी की जमीन थी वह पूरा बैरन लैंड (barren land) था और यहां के जो भी नेटिव प्लांट्स थे उनको लोग काट के अपने पर्सनल यूज़ के लिए ले जाते थे, घास या छोटे पौधे बिल्कुल नहीं थे क्योंकि जब भी आते थे तो उसको गाय, भैंस, बकरी खा (graze) लेते थे. तो ओवर ग्रेजिंग (ओवर ग्रेजिंग) के कारण जमीन बिल्कुल भी उपजाऊ नही थी. इसमें जमीन की बिल्कुल भी गलती नहीं है, इसमें मिट्टी की बिल्कुल भी गलती नहीं है, यहां पर जो शोषण हुआ है या शोषण किया गया है वह इंसानों का किया हुआ है मेजर, पशु पक्षियों का तो बहुत ही कम योगदान है.
तो जैसा हमने आपको पिछले आर्टिकल्स में बताया था कि हमने यहां पर नेटिव प्लांट्स जो पहले लगे थे उनको और बड़ा किया एवं और नेटिव ट्री (Native Trees) यहां पर लगाए साथ मे फ्रुइटिंग एवं फ्लॉवरिंग प्लांट्स भी लगाए जो मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए सक्षम थे.
इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे मेरी माटी (Meri Mati) मे जल संरक्षण के बारे मे बताएंगे. मेरी माटी के जमीन के ऊपर एक पहाड़ी है जिसका नाम ‘बुर्रा पहाड़ी’ है.
‘बुर्रा पहाड़ी’ से बारिश के समय पूरा पानी हमारे लैंड (land) से काफी तेजी से बेहता था जिसके कारण ऊपरी मिट्टी भी जो की पोस्टिक फर्टाइल (fertile soil) होती है बह जाती थी. हमको यह मिटी का बहाव रोकना था. जिसके लिए हमने जगह-जगह तालाब खुदवाये. हमने काफी जगह मेड़ बनवाये, zia पिट्स (pits) खुदवाये, पूडल (puddle) बनवाये, कनेक्टेड स्वेल (connected swale) बनवाये. इन सब मे पानी रुकने लगा, सब भरने लगे.
हमने मेरी माटी (Meri Mati) में लैंड के टोपोग्राफी को देखते हुए हमने पानी के फ्लो (flow) का डायरेक्शन (direction) बदला ताकि पानी सीधा स्वेल (swale) से होता हुआ तालाब मे जाये. बारिश का पानी रोकना बहुत जरुरी था जिसमे हम कामयाब हुए. अब बारिश का पानी पूरी तरह रुकने लगा जिससे मिट्टी का कटाव (soil erosion) पूरी तरह रुक गया और ऊपरी मिट्टी भी बहने से रुक गई. सिर्फ इतना ही नहीं पानी रुका तो जमीन मे नमी (moisture) भी होने लगी जिसके कारण मिटी और उपजाऊ होने लगी, जमीन के अंदर पत्थर भी टूटने लगे. पत्थर टूटने का कारण एक और है और वह है नेटिव ट्रीज (Native Trees), बड़े पेड़ो के जड़ों ने जमीन के अंदर के पत्थरो को तोड़ने मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका दी.
जिसके कारण अभी 4 साल में ही जमीन बिल्कुल अलग दिख रही है और हमने रोज यहां पर मेहनत किया है. हमने यह नहीं किया की जमीन खरीदी, फेंसिंग (fencing) किया और ट्रीज प्लांटेशन (Trees Plantation) किया, हजारों 2000 3000 पौधे लगाए हो गया बस उसके बाद हम AC प्लांटेशन रूम में जाकर बैठ गए.
नहीं हम यहां पर रुकते हैं, हम यहां पर कई दिन रुकते हैं और खुद काम किया है. हमने यहां देखा कि कहां पर क्या कमी थी या क्या हम उसको बेहतर कर सकते थे कि पानी बाहर न जाए और उसके लिए हमने बहुत मेहनत किया. उसका नतीजा यह रहा की जो बारिश का पानी आता था वह बाहर नहीं गया, वह रुका रहा जिसके कारण वाटर रिचार्ज (water recharge) हुआ या हम उसको बोले कि वाटर वर्क्स (water works) हमने जो कराया उसके बारे में हमने आपको इस आर्टिकल में बताया और मैक्सिमम जितने फोटोस या वीडियो होंगे मैं वह अपलोड कर रहा हूं और यूट्यूब चैनल में हमारा जो ‘मेरी माटी पर्यावरण ग्राम’ चैनल है वहां पर आप सब्सक्राइब (subscribe) कर सकते हैं. वहां भी हम वीडियो डालते रहते हैं और आप क्लाइमेट चेंज (climate change) को बचाने के लिए आगे आये, यही हमारा आपसे निवेदन है.
बैक टू वाटर वर्क्स (water works) हमने पहाड़ का जो पानी था एक समय वहा से इतना पानी बहता था कि वह पूरा मिट्टी बहा के ले जाता था जिसके कारण वहा सिंक होल (sink hole) बन गया था. हमने वहां पर अपने मेरी माटी का सबसे बड़ा तालाब बनवाया जेसीबी की मदद से उसका मेड़ बना कर रोका तो पहाड़ का पूरा का पूरा पानी हमने वहां पर रोक दिया. एक बूंद पानी भी हमने वहां से जाने नहीं दिया और हमारा लक्ष्य आने वाले दिनों में एक और तालाब बनाने का हैं जो इस तालाब के थोड़ा सा नीचे वाले तरफ में है जो बिल्कुल नेचुरल (natural) है. वहां पर भी पानी जो ट्रेंच एरिया (trench area) है वहां से बह जाता था तो सबसे पहले हमने एक तालाब उस ट्रेंच एरिया के थोड़ा ऊपर में बनाया जिनको आप हाई लेवल (high level) बोलेंगे और एक लो लेवल (low level) में हम बनाने जा रहे हैं. पहाड़ी के पुरे निचले हिस्से मे हमने स्वेल (swale) बनवाया जिसके कारण पहाड़ी से बारिश का पूरा पानी स्वेल के थ्रू (through) तालाब मे इकट्ठा होता है.
हर साल या आप बोले कि जब भी तेज बारिश होती है और शुरू के दिनों में वह पानी वहां पर स्टे (stay) कम किया जैसे आप मान लीजिए पहले 15 दिन रुका, दूसरी बारिश मे एक महीना रुका. फर्स्ट ईयर में वह डेढ़ महीना रुका, सेकंड ईयर में पानी ढाई महीने रुका, थर्ड ईयर में तीन महीने रुका. यह चौथा साल है और उम्मीद इस बार चार महीने की जा रही है. हाल ही मे हमने तालाब को फिर से चौड़ा कराया है.
यह तो सिर्फ हमने आपको तालाब के बारे में बताया जो हमने वाटर वर्क्स (water works) किया, ऐसे हमने जगह-जगह जो गड्ढे कराए थे उनकी मेड़ (mound) में भी प्लांटेशन किया है और पेड़ पौधे की वजह से इतनी ज्यादा ग्रीनरी (greenery) यहां पर दिखने लग गई है.
अगर आप आसपास के जमीन को देखेंगे या बोलेंगे कि जो जमीन मेरी माटी फॉर्म के आगे से कच्ची सड़क जाती है वह भी उसी जमीन का हिस्सा है और वह कच्ची सड़क को अगर आप देखेंगे और जो हमने काम किया है आप दोनों में देखकर विश्वास ही नहीं कर सकते कि यह दोनों एक ही जमीन का हिस्सा थी क्योंकि एक जगह आपको नेकेड रोड (naked road) दिख रहा है और कच्ची सड़क के दोनों तरफ हरियाली ही हरियाली, मिट्टी तो दिख ही नहीं रही क्योकि उसको घास ने कवर कर रखा है. आपको विश्वास ही नहीं होगा कि जमीन का कायाकल्प हमने 4 साल मे करा है. अभी बहुत काम बाकी है.
सबसे पहले हमने जो किया था वह वाटर वर्क्स (water works) का किया था काम जल संरक्षण (water conservation) के लिए जिस्से सॉइल एरोजन (soil erosiln) रुका था. उसके बाद हमने कवर क्रॉप (cover crop) किया था जिसके लिए हमने घास लगाए.
इस आर्टिकल में हमने जल संरक्षण (water conservation) के बारे मे बताया जो हमने मेरी माटी फार्म मे कराया. अगले आर्टिकल में मैं आपको हो सके तो लिविंग फेंस (living fence) के बारे में बताऊंगा. लिविंग फेंस क्या होता है? लिविंग फेंस क्यों जरुरी है? उसके बारे में बताऊंगा तो तब तक के लिए आप मेरी माटी से जुड़े रहें… थैंक्स…