मेरी माटी के फलदार वृक्ष

इस आर्टिकल मे हम आपको अपने मेरी माटी फार्म मे जो फ्रुइटिंग प्लांट्स (fruiting plants) या फलदार वृक्ष लगाए है उसके बारे मे बताएंगे। हमने अपने नेटिव प्लांट्स (native plants) आर्टिकल मे काफी हद तक पेड़ पौधों के इम्पोर्टेंस (importance) के बारे मे बताया है की नेटिव प्लांट्स क्यों ज़रूरी है। वह आर्टिकल आप अवस्य पढ़े, आइये आप को फ्रुइटिंग ट्रीज (fruiting trees) या फलदार वृक्ष के बारे मे बताए जो मेरी माटी फार्म मे लगाए है।

हमने आम, आंवला, अनार, केला, अमरूद, सीताफल, नींबू, अनानास, जामुन लगाए है। ज्यादातर पौधे हमने बीज से ही लगाए है क्योकि बीज से पौधे जो बड़े होते है वो सस्टेनेबल (sustainable) या टिकाऊ रहते है, उनको ध्यान भी कम देना पड़ता है। नर्सरी (nursery) के पौधों पे केमिकल (chemical) डाले जाते है जिसमे फल तक लगे रहते दिखते है, वह पौधे जब हम लाकर अपने गार्डन (garden) मे लगाते है तो कुछ समय बाद वह मर जाते है। नेचुरल (natural) खाद देना अलग बात है पर केमिकल देना पेड़ पौधों को वह बहुत ही गलत बात है। नेचुरल (natural) खाद से मेरा मतलब है – गाय का गोबर, मुर्गी या बकरी का सूखा मल।

हमने पेड़ पौधों के बीच की दूरी पास ही रखी है जैसा किसी जंगल मे आप देखेंगे। जैसे काफी लोग बोलते और करते है – दो आम के पौधों के बीच की दुरी 10 फीट रहे क्योकि वह बड़े होंगे तो ज्यादा जगह चाहिए। वैसे ही दुरी अलग अलग पेड़ पौधों के बीच। पर हमने यह स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल (standard protocol) नहीं चुनना। क्योकि जंगल मे ऐसा कोई स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल नहीं होता। वहां प्रकृति अपने तरीके से रहती है। वह एक जीवित स्थान होता है जो कुछ ही लोग समझ पाएंगे जो जंगल पर घंटो रह कर जंगल को समझते है। हमको मेरी माटी फार्म मे डेन्स प्लांटेशन (dense plantation) किया जैसा एक जंगल मे आप देखेंगे। जंगल ही है जो हमको क्लाइमेट चेंज (climate change) से बचाएंगे। सूखे जगह बारिश ज्यादा हो रही है, फ्लड आ रही है। जहा बारिश ज्यादा होती थी वहा बारिश तो छोड़िये बल्कि सूखा पड़ रहा है। यह क्लाइमेट चेंज ही है जिसने पहले भी कई सभ्यता खत्म करी है, और अब फिर से हमको ख़त्म करने को तैयार खड़ी है। हम है की समझ ही नहीं रहे, देख और सब जान के भी अनजान बने हुए है।

हमने सारे फलदार वृक्ष देसी वैरायटी के लगाए है। देसी वैरायटी भी आप नेटिव प्लांट्स को ही बोलेगे। बिलकुल, देसी आम, देसी अमरूद, देसी जामुन, देसी आंवला सब नेटिव ही तो है हमारे क्षेत्र के? देसी वैरायटी फलदार वृक्ष के कई फायदे है – एक तो यह जो हमने बताया की वह नेटिव हुए। दूसरा यह की उनको लौ मेंटेनन्स (low maintenance) चाहिए, वह आसानी से सर्वाइव (survive) भी कर सकते है। ज्यादा गर्मी मे भी जीवित रहेंगे। तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण की उनका फल बहुत उपयोगी है। सिर्फ फल ही नहीं उनके पत्ते भी बहुत उपयोग मे लिए जाते है कई बीमारियों से बचने मे। हर फलदार वृक्ष देसी वैरायटी के कई न्यूट्रिशनल वैल्यू Nutritional value (पोषण का महत्व) है।

हमने फलदार वृक्षो के साथ जंगल वैरायटी पौधे भी लगाए है। जैसे 2-3 आम के आसपास 2-3 पलाश (Sacred Tree) के पौधे। हर वैरायटी के पेड़ पौधे एक दूसरे को सपोर्ट (support) करते है। चाहे वह बड़े होने के लिए मदद हो छाया देके या कोई नेचुरल केमिकल (natural chemical) अपनी जड़ो से निकाल रहे हो ताकि दूसरे पेड़ अपनी जड़ों को मजबूत कर सके। नेचुरल केमिकल के लिए सबसे अच्छा उदाहरण है नाइट्रोजन (nitrogen)। कई पेड़ पौधे अपनी जड़ो से नाइट्रोजन केमिकल मिट्टी मे निकालते है जिससे मिट्टी की उर्वरता मे वृदि होती है, मिट्टी और उपजाऊ होती है और दूसरे पौधे जिनको नाइट्रोजन चाहिए वह अपने जड़ो से नाइट्रोजन केमिकल लेते है और मजबूत होकर बड़े होते है। जो पेड़ अपनी जड़ो से नाइट्रोजन केमिकल निकालते है उनको नाइट्रोजन फिक्सिंग प्लांट्स (nitrogen fixing plants) बोलते है और उस प्रोसेस को नाइट्रोजन फिक्सेशन (nitrogen fixation) बोलते है।

इस आर्टिकल मे आपको फलदार वृक्ष के साथ साथ कई ऐसी जानकारी दी है जो कम ही लोग जानते है। उम्मीद है आप लोगो को हमारी मेरी माटी (Meri Mati Farm) की यह पहल महत्वपूर्ण लगेगी और आप लोग इसका फ़ायदा भी लेंगे। मिलते है अगले आर्टिकल मे किसी और टॉपिक (विषय) के साथ।

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