वाटर बॉडीज – जरूरी है किसी भी इकोसिस्टम में

वाटर बॉडीज – जरूरी है किसी भी इकोसिस्टम में

अंग्रेजी में कहते हैं – ‘वाटर इस लाइफ’ अर्थात ‘जल ही जीवन है’। जल से ही जीवन की उत्पत्ति हुई है। जल है तो पशु पक्षी जीवित रहेंगे, पेड़ पौधे पनपेंगे, इसीलिए जब हम इकोसिस्टम (ecosystem) की बात करते हैं तो वाटर बॉडीज (water bodies) की बात होनी बहुत जरूरी है। वाटर बॉडीज मतलब जल समिति, सीधी बात में बोले तो तालाब, कुंड, नदियां, नाले, आर्द्रभूमि, पोखर, झरने, झील, अदि, अदि, जहा जल एकत्रित रहे। वाटर बॉडीज जितनी बड़ी होगी इकोसिस्टम उतना बड़ा और मजबूत होगा। Ecosystem को हिंदी मे पारिस्थितिकी तंत्र या पारितंत्र कहते है।

मेरी माटी में हमने ऐसे कई इकोसिस्टम को बनाने का सोचा है जिसके लिए हमने कई वाटर बॉडीज बनाए हैं जहां जल भरा रहे और धीरे-धीरे समय बीतने के साथ इकोसिस्टम बने. इकोसिस्टम में सिर्फ पशु, पक्षी, पेड़, पौधे, ही नहीं होते, यहां कीड़े मकोड़े सांप बिच्छू केकड़ा, मछली, बतक, खरगोश, चूहे, अदि भी निवास करते हैं. सब सिम्बायोसिस (symbiosis) में रहते है. हां यह सच है कि फूड चैन भी इकोसिस्टम का ही भाग है, और हमारे तालाब के इकोसिस्टम के फ़ूड चैन को ‘पोंड (pond) फ़ूड वेब या फ़ूड चैन’ बोल सकते है।

फूड चेन के बारे में हम डिटेल में बाद मे बात करेंगे, उससे पहले हम आज बात करेंगे कि मेरी माटी में हमने सिर्फ पेड़ पौधे ही नहीं लगाए की बस नर्सरी से छोटे पौधे खरीदें और मजदूरों से गड्ढे करवाए और सारे छोटे पौधे हमने लगा दिए और हो गया हमारा काम खत्म। इतनी सी सोच और इतना छोटा उद्देश्य नहीं है मेरी माटी फैमिली की।

मेरी माटी में हमको नेचुरल इकोसिस्टम या प्राकृतिक पारितंत्र बनाना है जिसको बनाने में कई दशक लग जाते है क्योकि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और जहां पर्यावरण बना रहे, जहां पेड़ पौधे पनपे और बड़े, जहां पशु पक्षी अपना रहने का घर बनाएं। जहां वाटर बॉडीज रहे जिससे मिट्टी में नमी बरकरार रहे, जिससे पेड़ पौधों के जड़ो तक पानी पहुंचे और वे बड़े हो जिससे हरियाली रहे, पेड़ों की छाया में पशु पक्षी अपना निवास स्थान बनाएं, पेड़ों के फल और फूल पशु पक्षी खाएं, पेड़ों की छाया वाटर बॉडीज पर भी पड़े जिससे सूरज की ताप से पानी भाप बन के ना उड़े जिसको अंग्रेजी में हम इवेपरेशन (evaporation) कहते हैं। मधुमक्खी फूलों के रस से अपना छत्ता बनाएं, इकोसिस्टम या पारितंत्र की परिभाषा ही है –

एक पारितंत्र में किसी दिए गए क्षेत्र में रहने वाले सभी जीवित प्राणी (पौधे, जानवर और जीव) शामिल होते हैं, जो एक-दूसरे के साथ और अपने निर्जीव वातावरण (मौसम, पृथ्वी, सूर्य, मिट्टी, जलवायु, वायुमंडल) के साथ परस्पर क्रिया करते हैं। एक पारितंत्र में, प्रत्येक जीव का अपना स्थान या भूमिका होती है।

जल की वजह से जमीन की सतह पर हमेशा नमी रहेगी जिससे घास और कई औषधि वाले छोटे पौधे पनपेंगे जैसे कि सरपट, भूमि आंवला, अदि, और भी कई ऐसे जंगली औषधि वाले पौधे हैं जो घासो के साथ उगते हैं और घास के साथ जब ऐसे औषधि वाले पौधे पशु या पक्षी खाते हैं तो उनको अलग से दवाई की जरूरत नहीं पड़ती। प्रकृति ही है जो पशु पक्षियों को यह सब प्रदान करती है।

फूड चेन के बारे मे अब हम बताते है – जैसे की घास उगेगा जमीन में तो घास को टिड्डा या कोई कीड़ा खाएगा, कीड़े को कोई पक्षी खाएगा, पक्षी को कोई साँप खाएगा, साँप को ईगल या गरुड़ खाएगा। यह एक फूड चेन हमने आपको उदाहरण के तौर पर बताया है.

पोंड (pond) फ़ूड चैन के बारे मे अब हम बताते है – तालाब के निचले हिस्से मे algae होता है जिससे moss भी बोलते है, हिंदी मे शैवाल, शैवाल को छोटी मछली खाती है, छोटी मछली को बड़ी मछली और मछलियों को पक्षी जैसे की किंगफिशर, बाज़ या बगला खाता है।

ऐसे कई फूड चेन है जो इकोसिस्टम के ही पार्ट है। ऐसे ही इकोसिस्टम बनाने के लिए ही हम मेरी माटी फॉर्म में इतनी मेहनत कर रहे हैं।

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