मेरी माटी में हमने फ्रुइटिंग ट्रीज (Fruiting Trees) लगाया है काफी सारे पर हमने जो पहले के जो नेटिव प्लांट थे हमने कोई भी उनको काटा नहीं है क्योंकि पेड़ काटना हमारे प्रिंसिपल में है ही नहीं और वह पेड़ जो हमको बचा के रखेंगे जो ऑक्सीजन दे रहे हैं अगर हम काटेंगे तो फिर हम तो उस श्रेणी में आएंगे जो ‘क्लाइमेट चेंज’ को बढ़ावा देंगे.
हमने जो अपने मड हाउस (Mud House) बनाए हैं वह भी सिर्फ वही बनाया है जहां पर पथरीली जमीन थी तो हमने जमीन का बहुत ही ज्यादा बारीकी से देखकर हमने यूज़ किया है कि कहां पर हम कैसे करेंगे.
हमने एक भी पेड़ नहीं काटा है, आज 4 साल हो गए हैं जो पुराने पेड़ थे वह इतने बड़े-बड़े घने हो गए हैं और उन पेड़ो के नीचे भी हमने बहुत सारे फ्लावरिंग प्लांट (flowering plant) फ्रुइटिंग ट्रीज (Fruiting Trees) लगाए जो उनको छाया देते हैं, गर्मी के समय में जब लू चलती है, गरम हवा चलती है तो वही पेड़ जिसको हम नेटिव प्लांट (Native Plant) बोलते हैं वह उनको बचाते हैं, जो गर्मी के दिनों में गरम हवा को झेल नहीं सकते क्योंकि 50 डिग्री सेल्सियस तो अब नॉर्मल हो गया है, हर चौथा शहर और पांचवा शहर में आप देखोगे कितना टेंपरेचर है 50 48 49 51 तो यह सब हमारी गलतियों के वजह से हुआ है जो हमने पिछले 50 साल कहीं काम से कम 50 साल में तो हमने बहुत ज्यादा अति कर दी है पेड़ काट काट कर हर जगह सीमेंट कंक्रीट का जंगल बना दिया है जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) हो गया है.
हम मशीनरी यूज़ करने लग गए हैं, जगह-जगह खुदाई कर रहे हैं, माइंस (Mines) खोद रहे हैं ताकि हम वहां से मिनरल्स (Minerals) निकाल सके, पर यह सब सही नहीं है एक लेवल तक आपने किया ठीक है पर अब अति हो गई है तो उसका परिणाम स्वरुप आज हमको मदर नेचर (Mother Nature) देगी और दे रही है – कभी कहीं फ्लड (Flood) आ रहा है, कहीं गर्मी बहुत ज्यादा हो रही है, जहां गर्मी नहीं होनी थी वहां पर तेज बारिश हो जा रही है, दुबई (Dubai) में देख लीजिए वहा पर कैसे फ्लड आ रहा है, तो यह ‘क्लाइमेट चेंज’ है.
हमारे जबलपुर में यहां पर हमेशा बारिश होती रहती थी पर इस बार आप देखेंगे बारिश होनी काफी कम हो गई है. यहां पर नर्मदा रिवर (Narmada River) है जिसका जलस्तर बिल्कुल डाउन होता जा रहा है तो जो नदी लाइफ लाइन है, नर्मदा रिवर, यह अगर ऐसा होता रहा तो यह दिन दूर नहीं जब नर्मदा नदी विलुप्त हो जाएगी जैसे जमुना, सरस्वती हो गई है.
हमको अपनी नदियां बचानी होंगी अगर हमको अपना अस्तित्व बचाना है. हमको क्लाइमेट चेंज से जूझना होगा, हमको पेड़ पौधे लगाने होंगे, आप कितना भी बोल दीजिए पेड़ पौधे ही हैं जो ‘क्लाइमेट चेंज’ को बचाएंगे अगर हर व्यक्ति एक पेड़ भी लगाए आप सोच सकते हैं कितने करोड़ो की जनसंख्या है, एक पेड़ लगाए लेकिन उस पेड़ को बड़ा होने मे आपको उसकी देखभाल करनी होंगी.
आप सोच सकते हैं कितने करोड़ रुपये बचेंगे और कितने करोड़ पेड़ लगेंगे ? यह तो बस एक प्रयास है जो मेरी माटी (Meri Mati) करना चाह रहा है और मेरी माटी ने शुरू किया यह प्रयास अपने ही जगह से और शुरू किया है एक छोटी सी जमीन लेकर और इसके बारे में हमने अपने प्रीवियस आर्टिकल (previous articles) में बताया है और भी आने वाले आर्टिकल्स में हम पूरा डिटेल में बताएंगे तो नेटिव प्लांट के महत्त्व मैंने बताया.
आपको अगले आर्टिकल में हम कोई नय टॉपिक के साथ फिर आएंगे तब तक के लिए आप मेरी माटी से जुड़े रहे, मेरी माटी यूट्यूब चैनल से जुड़े, चैनल को सब्सक्राइब जरूर करे और क्लाइमेट चेंज से जूझने के लिए जितना हो सके उतने पेड़ पौधे लगाए और उनको मेन्टेन (maintain) करके लगाए, बिना किसी उद्देश्य के, सिर्फ एक ही उद्देश्य रखिए कि वह आपको ऑक्सीजन (oxygen) देगा आपके आने वाले पीढ़ियों को ऑक्सीजन देगा…