मुर्गी पालन: क्यों है जरुरी परमाकल्चर फार्म मे ?

इस आर्टिकल मे हम आपको मुर्गी पालन के बारे मे तो बताएंगे ही पर ज्यादा महत्व हम देंगे – मुर्गी पालन का एग्रीकल्चर (agriculture) मे योगदान या क्यों जरुरी है मुर्गी पालन किसी परमाकल्चर फार्म (permaculture farm) मे। सिर्फ खेती करना ही परमाकल्चर मे नहीं आता या चावल-गेहू उगाना ही किसानी नहीं कहलाती, यह बात हम सबको समझनी होगी। हमने ट्रेक्टर से जमीन या मिट्टी की जुताई करवाई और बारिश के समय उसमे जुताई करवाके बीज डाला और बन गए किसान, हमारा काम खत्म। नहीं, सही मायने मे यह किसानी नहीं है।

परमाकल्चर अर्थात परमानेंट एग्रीकल्चर (permanent agriculture) नाम से ही आप समझ गए होंगे की हमको ‘स्थायी रूप’ पर ध्यान देना है। ‘स्थायी रूप’ से मतलब है की हमको रुट कॉज (root cause) जानके उसका निवारण करना होगा वह भी नेचुरल (natural) तरीके से, कोई भी केमिकल यूज़ (chemical use) किये बिना। चलिए हम आपको बताते है हमने अपने मेरी माटी फार्म मे कैसे नेचुरल तरीके से बेजान या पथरीली जमीन को फर्टाइल या उपजाऊ बनाया। हमने कई तरीको से मिट्टी को उपजाऊ किया पर आज इस आर्टिकल मे हम आपको बताएंगे कैसे हमने मुर्गी पालन करके मिट्टी को सोना बनने का प्रोसेस स्टार्ट (process start) किया। हा, इसको हमने प्रोसेस (process) कहा क्योकि यह कोई कुछ दिनों का, कुछ महीनो का प्रोसेस नहीं है, इसमें बल्कि कई साल लग जाते है, कभी-कभी तो कई दशक लग जाते है।

हमने जब मेरी माटी शुरू किया था उसमे वाटर वर्क्स (water works) कराया था, मड हाउस (mud house) बनवाया था तभी हमने पोल्ट्री फार्म (poultry farm) भी बनवाया था और 100-150 मुर्गी के चूजे भी खरीद कर पालना शुरू किया था। चिकन (chicken) या मुर्गी हमने बेचने के लिए नहीं पाली थी, बल्कि हममे मुर्गियों की बीट की खाद के लिए पाला था जो की सोना है किसी भी जमीन को उपजाऊ बनाने मे। किसी भी पेड़ पौधों के लिए अमृत है मुर्गियों की बीट का खाद। हमने बकरी पालन भी किया है जो की हम आने वाले आर्टिकल मे बताएंगे। बकरियों की मेंगनी या मल भी खाद है जो की पेड़ पौधों को दिया जाता है।

जितना पैसा हम मुर्गिया बेच कर कमाते उससे ज्यादा हममे मुर्गियों की बीट की खाद की मदद से जमीन को उपजाऊ बनाने मे मिला है। बल्कि जमीन को उपजाऊ बनाना अमूल्य है अर्थात जिसका कोई मूल्य नहीं। हमने दो मुर्गियों की नस्ल पाली – देसी और FFG Kuroiler chicken. दोनों ही नस्ल की immunity या रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत है। हमने फ्री रेंज (free range) मे मुर्गी पालन करी है। फ्री रेंज का मतलब है खुले मे चराना मुर्गियों को जिसमे मुर्गिया कुछ वक़्त के लिए बाहर रहती है और खाती है। जहा हमारा उनको फीड (feed) देना कम हो जाता है। फीड कॉस्ट (feed cost) कम हो जाता है। मुर्गिया कीड़े खाती है, कई कीड़े कई पौधों को नुक्सान पहुँचाती है, तो मुर्गिया हमारी पेस्ट कंट्रोल (pest control) का काम भी करती है वो भी फ्री मे।

मुर्गी पालन के कई फायदे है, जो हमने अभी आपको बताए वो अमूल्य है, बस सोच की ही बात है। एक तरफ आसानी के लिए लोग चेमिकल्स (chemicals) का उपयोग कर रहे है अनाज उगाने के लिए जिसको खेती बोल रहे है और अपने आप को किसान। थू है ऐसी खेती को और ऐसे लोगो को, वह असली किसान है ही नहीं। सिर्फ ज्यादा उत्पादन के लिए लोग ऐसे ऐसे चेमिकल्स को यूज़ (use) कर रहे है जो बहुत ही हार्मफुल (harmful) है हमारी सेहत के लिए। कैंसर (cancer) की बीमारी हर जगह फेल रही है।

हमको चेमिकल्स का उपयोग बंद करना होगा और नेचुरल तरीके से फार्मिंग करनी होगी। मुर्गी पालन, गाय पालन और बकरी पालन नेचुरल फार्मिंग का अहम हिस्सा है जिसका किसानो को ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना होगा। यही मेरी माटी फार्म की अपील है।

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